गाजीपुर ।
अति प्राचीन श्री रामलीला कमेटी हरिशंकरी की ओर से 16 अक्टूबर दिन सोमवार के शाम स्थानीय मुहल्ला विशेश्वरगंज स्थित पहाड़ खाँ के पोखरा पर लीला के 7वें दिन शाम 7ः00 बजे वंदे वाणी विनायकौ श्रीराम लीला मण्डल के द्वारा बड़ा रोचक पूर्ण श्रीराम केवट संवाद के प्रसंग का मंचन किया गया ।
लीला की शुरूआत कमेटी केे पदाधिकारी मंत्री ओमप्रकाश तिवारी, उपमंत्री लवकुमार कुमार त्रिवेदी, प्रबन्धक विरेश राम वर्मा, उपप्रबन्धक मयंक तिवारी कोषाध्यक्ष रोहित अग्रवाल, मनोज कुमार तिवारी ने भगवान श्रीराम की आरती केे बाद लीला का शुरूआत किया गया ।
लीला केे दौरान श्रीराम चन्द्र जी श्रृंगवेरपुर में निषााद राज के आग्रह पर एक रात विश्राम करते है। श्रीराम सीता के एक रात वट वृक्ष के नीचे विश्राम करते है। और लक्ष्मण जी विरासन मुद्रा में रात भर विश्राम करते है, दूसरे दिन श्रीराम सुमन्त सीता तथा लक्ष्मण को अयोध्या जाने की अनुमति मांगते है श्रीराम सीता लक्ष्मण पर बात टाल देते है ।
सीता जी लक्ष्मण अयोध्या जाने से इंकार भी कर देते है अंत में श्रीराम की आज्ञा पाकर सुमन्त जी वापस अयोध्या लौट जाते है । उधर श्रीराम केवट से गंगा पार जाने के लिए नाव की मांग करते है केवट कहता है कि प्रभु आपके चरण में जादू है । मैं पहले आपका चरण धूलकर नाव पर बैठाउंगा केवट के भक्ति युक्त वाणी सुनकर भगवान श्रीराम प्रसन्न होकर आज्ञा देते है कि हे केवट जल्दी चरण धुलो और हमें गंगा पार उतार दो। श्रीराम की आज्ञा पाकर केवट भगवान श्रीराम के चरण धुलकर श्री सीताराम लक्ष्मण तथा निषाद राज को गंगा पार उतार देता है। श्रीराम नाव से उतरकर निषाद राज को वापस जाने को कहते है ।
इस अवसर पर अतिप्राचीन रामलीला कमेटी हरिशंकरी के द्वारा आतिशबाजी भी की गयी। प्रभु को गंगा पार केवट उतार देता है तब श्रीराम ने केवट को उतरायी में अंगूठी देते है, केवट कहता है कि हे नाथ ’अब कछुनाथ न चाहिअ मोरे, दीनदयाल अनुग्रह तोरे’ इस प्रकार कहके श्रीराम के चरणों में केवट दण्डवत कर देता है, भगवान श्रीराम उसको अपनेे गले से लगाकर उसको अविरल भक्ति का प्रदान करते है। इसके बाद श्रीराम लक्ष्मण सीता भारद्वाज मुनि के आश्रम पर पहुँचते है ।
इस अवसर पर कमेटी के मंत्री ओमप्रकाश तिवारी, उपमंत्री लवकुमार त्रिवेदी, प्रबन्धक विरेश राम वर्मा, उप प्रबन्धक मयंक तिवारी, कोषाध्यक्ष रोहित कुमार अग्रवाल, मनोज कुमार तिवारी, रामसिंह यादव आदि रहे ।