गाज़ीपुर ।
भाषा की सहजता और स्पष्टता रामबदन राय के साहित्य की महत्वपूर्ण विशेषता है. वह एक कालजयी रचनाकार हैं जिन्होंने काव्य, कथा, व्यंग्य सहित विभिन्न विधाओं में स्तरीय लेखन किया है । उक्त उद्गार आज दिनांक- 10 दिसम्बर, 2023 को जनपद के जोगामुसहिब गांव में आयोजित “गंवई गुलिस्तां का गुलाब” पुस्तक के लोकार्पण तथा परिचर्चा कार्यक्रम में मुख्य अतिथि डॉ. मान्धाता राय ने व्यक्त किया । उन्होंने कहा कि कश्यप कीर्ति रामबदन राय की अक्षय कीर्ति का आधार है ।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए डॉ. द्वारिका नाथ राय ने फिरकी वाली की प्रो. राय की मास्टर पीस बताते हुए इसे दलित विमर्श का महत्वपूर्ण ग्रंथ बताया. माधव कृष्ण ने अपने सारगर्भित व्याख्यान में रामबदन राय को आधुनिक कवीर की संज्ञा से विभूषित किया ।
प्रख्यात लेखक तथा विचारक श्री रामावतार ने अपने उद्बोधन में कहा कि ग्राम्य जीवन साहित्य सृजन के लिए उपयुक्त आधार भूमि तैयार करती है जिसका बखुबी इस्तेमाल रामबदन राय ने किया है.
कवि दिनेश चंद्र शर्मा तथा मोती प्रधान ने अपने मार्मिक काव्यमय प्रस्तुति से संगोष्ठी को सरसता प्रदान की ।
कार्यक्रम में श्री रामावतार, डॉ. व्यास मुनि राय, डॉ. राम बदन सिंह, सुहेल खान, श्री राम राय, अशोक गुप्ता, शेषनाथ राय, डॉ. सतीश राय, डॉ. संतोष सिंह, डॉ. राकेश पाण्डेय, निशिकांत मिश्र, शिव नारायण राय आदि ने विचार व्यक्त किया ।
कार्यक्रम के अंत मे स्वामी सहजानन्द पीजी कालेज, गाजीपुर के प्राचार्य प्रो. वी के राय ने आगंतुक अतिथियों तथा मीडिया कर्मियों का धन्यवाद ज्ञापन किया ।
कार्यक्रम का कुशल संचालन प्रो. अजय राय ने किया.
पुस्तक विमोचन कार्यक्रम सम्पन्न होने के उपरांत प्रो. राम बदन राय के अमृत वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में आमंत्रित विशिष्ट अतिथि जनों नेकार्यक्रम स्थल पर चंदन के दो पौधे लगाकर उन्हें प्रतीकात्मक भेंट दी ।
सायं कालीन सत्र मे वाइल्ड बंच क्रिएसन्स, बलिया के सौजन्य से प्रो. रामबदन राय की औपन्यासिक कृति फिरकी वाली (1984) के नाट्य रूपांतर की अद्भूति प्रस्तुति सम्पन्न हुई ।
कहवां से पावले रे डोमवा कहवां से पावले रे !
एतना सुघर रे डोमिनिया डोमवा कहवां से पवले रे !!
थीम सांग को बार-बार दुहराती ‘फिरकी वाली’ प्रो राम बदन राय (प्रकाशित,1984) की एक अनूठी औपन्यासिक कृति है । समकालीन सामाजिक – संदर्भों की एक जीती जागती तस्वीर पेश करती यह कृति अपने आप मे एक क्लासिकी है जिसमे रोमांस है, क्लास कन्फ्लिक्ट है , सस्पेंस और एडवेंचर भी है और ट्रैजी -कमेडी के मानक तत्व भी ।
उपन्यास के अनूठे नाट्य रूपांतर में सुगिया – सोहना की रूमानी कहानी एक क्लासिक कथानक के रूप में प्रस्तुत की गई है. डोम – अतिदलित वर्ग का रहन सहन, उनका राग द्वेष , खान-पान, प्रेम-अनुराग, गाना-बजाना सब एक अद्भुत दृश्य संसार की रचना करते हैं. गनेशी , मुखिया , देवेन, दिवानी और…..अनेक चरित्र तो आपके गाँव गिरांव के ही हैं ।
वाइल्ड बंच क्रिएशन्स द्वारा ‘फिरकी वाली’ का थिएटर परफॉर्मेंस खुले आसमान के नीचे हुआ जो सैकड़ों की संख्या में उपस्थित नाट्य प्रेमियों के लिए अत्यंत आनंद दायक अनुभव था । वाइल्ड बंच क्रिएशन्स की सुश्री स्नेहा डे सुगिया, समीर खान सोहना तथा सुनील यादव ने गनेशी के रोल मे उत्कृष्ट अभिनय किया. कृष्णा मिठू का पार्श्वगायन अत्यंत शानदार रहा ।
नाटक सम्पन्न होने के उपरांत कृष्णायन सेवा समियी, जोगामुसाहिब की ओर से सभी कलाकारों को मानपत्र तथा अंगवस्त्रम प्रदान कर सम्मानित किया गया ।
इस अवसर पर प्रो. अवधेश नारायन राय, विजय शंकर राय, डॉ. गजाधर शर्मा गंगेश, डॉ. रामानंद तिवारी, डॉ. संतोष सिंह, डॉ. सतीश राय, डॉ. प्रमोद श्रीवास्तव, ओम प्रकाश राय, निशिकांत मिश्र, शेष नाथ राय आदि उपस्थित थे ।