गाजीपुर ।
खबर जिले के बीएसएनएल विभाग का है जहां लोचा ही लोचा है ।
बता दे कि इस विभाग में कभी 47 सौ रुपये का गबन तो कभी अपने अधिनस्थो को बिना किसी कसूर के बिना किसी कारण मानसिक रूप से प्रताड़ित करने में माहिर यहां के कुछ चुनिंदा अधिकारियों व कर्मचारियों ने विभाग में ही ब्लैक मनी कमाने का लाजबाब रास्ते बना लिया है ।
ज्ञात हो कि वर्ष 2013 से 15 तक आईएस (191) गैंग के सरगना माफिया डॉन मुख्तार अंसारी के विकास कास्ट्रक्शन कम्पनी की आड़ में कारोड़ों के डीजल घोटाला किया गया था फिर बाद में आफिस से जुड़े उन्हीं दो जिम्मेदार अधिकारियों ने सरकारी तनख्वाह के अलावा ऊपरी कमाई के लिए खुद के ही तीन निजी फर्मो को विभाग से जोड़ लिया था और सबसे चौंका देने वाली बात तो यह है कि तीनों फर्मो के मुखिया अभी तक वर्षो से विभाग के उच्चाधिकारियों की आंखों में धूल झोंककर अपनी काली कमाई में इजाफे पर इजाफा करते नजर आ रहे है ।
इसकी सबसे बड़ी बात तो यह है कि यह तीनों फर्म विभाग में ही ठेके पर काम करती है और बिल का भुगतान भी अपने मनचाहे तरीके से ही हो जाता है ।
विश्वनीय सूत्रो के अनुसार दो फर्म तो ऐसे है जिसका कथित प्रोपराइटर इतना दबंग किस्म का है कि जब विकास कंस्ट्रक्शन कम्पनी का विभाग में बोलबाला था तो वह अपने उच्चाधिकारियों की आंखों पर काली पट्टी बांधकर बिल बाउचर पास करा दिया करता था । बिल बाउचर पास कराने के एवज में उसे मुख्तार के कंस्ट्रक्शन कम्पनी के कथित प्रोपराइटर इमरान के हाथों परसेन्टेज की मोटी रकम भेज दी जाती थी ।
मीडिया के द्वारा की गई जांच पड़ताल में इस बात का खुलासा भी हो गया है कि जबसे विकास कंस्ट्रक्शन का बर्चास्व बीएसएनएल आफिस से खत्म हुआ तबसे यहां के दो जिम्मेदार अधिकारियों ने खुद की ही तीन नीजी फर्मो को विभाग से जोड़ दिया है । उनके फर्म का नाम परिवार के सदस्यों का रखा गया है । जिन लोगों के नाम से फर्म है उनका सम्बंधित अधिकारियों से खून का रिश्ता भी बताया जा रहा है । हालांकि फर्मो का नाम भी मीडिया ने खंगाल लिया है ।
बता दे कि सरकारी नौकरी का लबादा ओढ़कर विभाग में खुद के रिस्क पर फर्म चलाने वाले दो जिम्मेदार अधिकारियों ने ठेकेदार का भी खुद ही ठेका ले रखा है । दो फर्मो पर सिम बेचने से लेकर रिचार्ज कराने व अलग-अलग विभागों में लग्जरी चार पहिया वाहन किराये पर चलवाने का काम भी होता है और तीसरी ऐसी फर्म है जो सिर्फ एफटीटीएच कनेक्शन लगाने का ही काम करती है । भले ही दोनों जिम्मेदार अधिकारी यह सभी से कहते फिरते है कि फर्म उनके नाम से नहीं है और न ही फर्म से उनका कोई वास्ता है , लेकिन सच्चाई तो यह कि फर्म भले ही उन्होंने अपनी नौकरी बचाने के लिए दूसरे के नाम पर खोला है , लेकिन फर्म से जुड़ा हर एक काम को वहीं देखते है ।
ज्ञात हो की विकास कंस्ट्रक्शन कम्पनी भले ही मुख्तार अंसारी के नाम से नहीं थी , लेकिन उनके अत्यंत करीबी लोग इस फर्म से जुड़े हुए थे । ईडी की जांच में इसी कम्पनी का नाम कारोड़ों के डीजल घोटाले में आमने आया था। उसी प्रकार यहां के दो अधिकारी ऐसे है जो भले ही अपने नाम से कंस्ट्रक्षन कम्पनी नहीं चलाते है , लेकिन उनके ही करीबी इन कम्पनियों या फर्म से जुड़े हुए है। यदि इन दोनों अधिकारियों पर जांच बैठाई जाये तो दूध का दूध और पानी का पानी हो जायेगा ।
बता दे कि अपने एक साथी व यूनियन के जिला सचिव राकेश कुमार मौर्या के नियम विरुद्ध स्थानान्तरण किये जाने को लेकर विभाग के जिम्मेदार पदों पर आसीन लोगों पर सवालिया निशान उठाने वाले बीएसएनएल ईम्पलाइज यूनियन के उच्च पदाधिकारियों ने इस मामले को उठाया था । हालांकि अभी तक स्थानान्तरण का मामला शांत नहीं हुआ है । जिला सचिव राकेश कुमार मौर्या ने भी विभाग में व्याप्त भ्रष्टाचार के खिलाफ उठाये गये मामलों में फर्म के मामले को उठाया है ।
आपको बताते चले कि विकास कंस्ट्रक्शन कम्पनी से जुड़े सभी दस्तावेजों को ईडी ने अपने पास मंगा लिया है। वर्ष 2013-15 द्वारा विभाग में कराये गये कार्यो की जांच ईडी कर रही है। इस जांच के दौरान ही डीजल घोटाले का मामला सामने आ रहा है ।
सूत्र बताते है कि डीजल घोटाले में बीएसएनएल आफिस से जुड़े तत्कालीन कई अधिकारियों व कर्मचारियों की गर्दन इसमें फंस सकती है । इसमें वह शख्स भी रडॉर पर है जो वर्तमान में विभाग में अपने रुतबे की आड़ में तीनो फर्म चला रहा है ।
सूत्रो की माने तो विभाग में अपने करीबियों के नाम से फर्म चलाने वाला एक अधिकारी भले ही यह शो करता है कि फर्म उसकी नहीं है इसके बाद भी वह फर्म के बिल बाउचर पर स्वंम ही हस्ताक्षर करता है । इससे साफ जाहिर हो रहा है कि फर्म भले ही उसके नाम से नहीं है , लेकिन असल में संरक्षक व मालिक वहीं है ।
फर्म का मामला शत प्रतिशत सत्य है। जब हमारे यूनियन के जिला सचिव के स्थानान्तरण का मामला उठा था तो शीर्ष नेतृत्व के निर्देश पर मैं और कुछ और जिम्मेदार पदाधिकारी यूनियन की ओर से जांच करने के लिए गाजीपुर गये थे । जहां जांच में हम लोगों ने भी पाया कि विभाग में चल रहे तीन फर्म वहां तैनात दो अधिकारियों की ही देखरेख में फल – फूल रहे है । भले ही पूछताछ में दोनों अधिकारियों ने यह बात कही कि फर्म उनकी नहीं है , लेकिन मैंने जांच में खुद देखा कि फर्म के जिम्मेदार कागजातों पर उसी अधिकारी के खुद के ही हस्ताक्षर है । यदि फर्म दूसरे की है तो हस्ताक्षर भी दूसरा ही व्यक्ति कर सकता है न कि वह व्यक्ति जो खुद को फर्म का संरक्षक तक नहीं बता रहा है । गाजीपुर की बीएसएनएल आफिस में गड़बड़ी ही गड़बड़ी है ।
इस मामले में बीएसएनएल यूनियन के सर्किल सेकेट्री के.आर. यादव ने कहा की राकेश मौर्या ने अपने आफिस से जुड़े भ्रष्टाचार के खिलाफ जो कदम उठाया है वह बिल्कुल सहीं है । हमलोग राकेश मौर्या के साथ है और हर कदम पर उसका साथ देंगे ।