गाजीपुर ।
ज्ञात हो कि शिक्षा का नया सत्र शुरू हो गया है और इसके साथ ही जनपद के सभी इंग्लिश मीडियम स्कूल संचालक अपनी पूरी तरह मनमानी करते नजर आ रहे है जैसे की दो सेट ड्रेस , टाई , बेल्ट , परिचय पत्र , फीस और फंसशन – प्रोग्राम फीस , ट्रेनिंग फीस साथ ही अन्य कार्यक्रमों के बाबत अपनी मनमानी फीस की निर्धारित वसूली आरंभ कर चुके है । यही नहीं इसके साथ ही कापी किताबों के नाम पर कमीशनखोरी का खेल भी आरंभ हो गया है ।
बता दें कि अब तक इन स्कूल संचालकों पर प्रशासन भी किसी तरह का कोई अंकुश लगाने में नाकाम रहा है । जिसके कारण सारा भार अभिभावकों के ही ऊपर पड़ता है और इस महगाई में पूरी तरह उनकी कमर टूट रही है ।
बता दे की जहां कुछ निजी स्कूलों में वास्तविकता में उचित फीस में ही अच्छी शिक्षा और व्यवस्था के सारे इन्तजाम होते है , वही कुछ निजी स्कूलों में अच्छी शिक्षा और व्यवस्था का लालीपॉप देकर अभिभावकों को अच्छी तरीके से ठगा भी जा रहा है , जैसे स्कूल संचालकों ने कहीं कापी किताबों और ड्रेस के लिए दुकानों से सेटिंग कर रखी है , तो कहीं खुद अपने स्कूल से ही लेने के लिए अभिभावकों को मजबूर कर रहे है । इतना ही नहीं कमीशन खोरी के चक्कर में हर साल नए प्रकाशन की किताबे भी बदल देते है जिससे मोटी कमाई की जाती है ।
बता दे की अप्रैल माह से नए सत्र के चालू होते ही कई स्कूलों ने पिछले वर्ष की तुलना में लगभग 20 से 50% फीस में वृद्धि कर दी है ।
कई स्कूल संचालकों ने महंगाई में वृद्धि की बात कह कर फीस बढ़ाए जाने की जानकारी भी दी है । जबकि कक्षा पांच की किताबें और कापी चार से पांच हजार रुपये में दी जा रही है ।
वही एक अभिभावक ने बताया की मेरा बच्चा LKG में है और उसकी मात्र 5 किताबे जो है वो 2650 रु की है । वही एक अन्य अभिभावक ने बताया कि शिक्षा के नाम पर निरंतर प्राइवेट शिक्षण संस्थान व्यवसायीकरण में जुटा है । जिसने की इस महंगाई में अभिभावकों की कमर पूरी तरह तोड़ दी है ।
ज्ञात हो कि बच्चों के वजन से ज्यादा आजकल उनके बैंग का वजन है जो आमतौर पर आम आदमी के लिए भी उठाना मुश्किल होता है । इतना सबकुछ होने के वावजूद भी कोई भी जिम्मेदार अधिकारी के इसका संज्ञान नहीं ले रहा है , और न ही शिक्षा विभाग अथवा सरकार की तरफ से इन प्राइवेट शिक्षण संस्थान के लिए कोई फीस तय की जा रही है । जिससे इस महंगाई के दौर में अभिभावक को राहत मिल सके । जनपद के कई अभिभावकों ने जिला प्रशासन से यह मांग किया है कि इस पर रोक लगाया जाए , जिससे उन्हें राहत मिल सके।