
गाजीपुर ।
यूपी में भ्रष्टाचार किस विभाग में चरम पर नहीं है , यह एक ऐसा प्रश्न है जिसका तुरंत जवाब दे पाना किसी के लिए भी आसान नहीं है ।
बिजली विभाग तो गजब ही भ्रष्ट है , उपर से लेकर नीचे तक लुटेरे बैठे हैं , स्वास्थ्य विभाग का हाल भी किसी से छुपा नहीं है , झांसी वाला बच्चों वाला कांड आप सबके सामने ही है ।
इसके साथ ही पुलिस और राजस्व विभाग के बारे में क्या कहने है , जितना कहो उतना ही कम है पर जो थोड़े कम भ्रष्ट और शांत विभाग माने जाते हैं , वहां भी भ्रष्टाचार की गंगा बह रही है ।
जी हां हम बात कर रहे हैं बेसिक शिक्षा विभाग की जिसके उत्तर प्रदेश के एक सीमावर्ती और उपेक्षित जिले का हाल जानकर आप पूरे प्रदेश में होने वाले भ्रष्टाचार का अंदाजा लगा ही सकते हैं की अब इस विभाग में उगाही के लिए एकमात्र शिकार शिक्षक बन रहे है ।
गाजीपुर में जिला स्तरीय खेलकूद कराने के लिए शासन से पैसा आया हुआ है लेकिन बेसिक शिक्षा अधिकारी हेमंत राव ने अपने मातहतों के जरिए पूरे जिले में मास्टरों के बीच उगाही अभियान चलवाया हुआ हैं ।
विश्वसनीय सूत्र बताते हैं कि एक करोड़ रुपये से ऊपर का टारगेट है इसमें आराम से पचास साठ लाख रुपये अफसर बचाकर उपर नीचे आपस में बांटकर खा – पी जाते हैं ।
गाजीपुर जिले के किसी भी प्राइमरी और मिडिल स्कूल के शिक्षक से आप स्वयं पूछ सकते हैं जिसको आप भली भांति जानते हो , वह आपको खुद ब खुद ही अपनी स्पीड की व्यथा को व्यक्त करेगा , वह स्वयं बताएंगे कि उन्हें इस महीने खेलकूद के नाम पर पांच सौ या 1000 रुपये कितना देना है।
क्योंकि यह धनराशि किसी ब्लाक में हजार रुपये है तो किसी में पंद्रह सौ तो कहीं कहीं पांच सौ रुपये हैं इन विभागों के अनुचरों को भी पांच सौ रुपये देने हैं । अनुचर मतलब चपरासी , दाई ।
बता दे की गाजीपुर जिले में करीब दस हजार से अधिक ही शिक्षक हैं , पांच सौ रुपये से पंद्रह सौ रुपये तक प्रति शिक्षक की उगाही का अगर एवरेज भी हम अगर हजार रुपये प्रति शिक्षक निकलते हैं तो उगाही राशि एक करोड़ रुपये लगभग हो जाती है । यही नहीं शिक्षकों के वाट्सअप ग्रुपों में बाकायाद लिख लिख कर उगाही की धनराशि को देने की अपील की जा रही है उसके स्क्रीनशॉट भी आप लोगों के सामने ही है ।
सूत्र बताते हैं कि अफसरशाही के चक्रब्यूह में फंसे शिक्षक बेचारे इतने पीड़ित प्रताड़ित होते हैं कि उनकी हिम्मत नहीं कि वे उगाही की राशि को देने से मना कर सकें । बेसिक शिक्षा विभाग के जिला के छोटे बड़े अफसरों के उगाही के सहयोगी हाथ भी इन्हीं शिक्षकों में से ही कुछ दलाल किस्म के शिक्षक बन जाते हैं ।
यही नहीं एक अफसर के यहां कुछ शिक्षक नेता सब्जी छीलते और रोटी पकाते हुए भी नजर आये हैं । अब आप स्वयं ही बताएं कि ऐसे शिक्षक नेताओं से आप और क्या उम्मीद करेंगे जो अफसरों की तेल मालिश से लेकर उनका किचन तक संभालने का काम करते हैं ।
विश्वसनीय सूत्र यह भी बताते हैं कि वहीं जो शिक्षक नेता शिक्षकों की समस्याओं पर लड़ाई ले सकते थे , उनके बीच भी अफसरों ने पहले से ही फूट डाल रखी है अथवा यूं कहीं कि उन्हें डरा धमका रखा गया है ।
ज्ञातव्य हो कि पिछले एक बरस में आधा दर्जन शिक्षक नेताओं को विभिन्न कारणों से सस्पेंड भी किया गया है । ये वो शिक्षक नेता हैं जो रीढ़ सीधी रखते थे और सच को सच की तरह बोल देते थे , तो ऐसे सत्यवादी लोग शिक्षा विभाग के अफसरों को पसंद नहीं आये । उन्हें तो प्रतिदिन वसूली कराने वाले, तेल-मक्खन लगाने वाले और शिक्षकों की मुखबिरी करने वाले शिक्षक नेता ही पसंद आते है ।
इस जिला स्तरीय एक करोड़ रुपये महावसूली अभियान को लेकर स्थानीय पोर्टलों-अखबारों में खबरें छपी हैं लेकिन इन खबरों से कोई फरक नहीं पड़ता क्योंकि शिक्षा अफसरों ने बड़े अखबारों और बड़े चैनलों के स्थानीय कर्ताधर्ताओं को सेट कर रखा है छुटभैये पोर्टलों और छोटे अखबारों पर प्रकाशित खबरों को उतना व्यापक असर नहीं हो पाता. इसलिए वसूली के महाभियान पर कहीं से कोई संकट प्रकट होता नहीं उन्हें नजर आ रहा है ।
इस मामले के बाबत सूचना मिलने पर जब बीएसए , गाजीपुर हेमंत राव से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि इस मामले में स्पष्टीकरण मांगा जा रहा है , जो भी दोषी पाए जाएंगे उनके विरुद्ध सख्त से सख्त कार्यवाही की जाएगी ।