
रेवतीपुर (गाजीपुर) ।
गंगा नदी का जलस्तर एक बार फिर से भयावह स्थिति की ओर बढ़ रहा है। रेवतीपुर क्षेत्र में यह चौथी बार है जब बाढ़ ने अपना विकराल रूप धारण किया है । तटवर्ती गांवों की ओर तेजी से बढ़ता पानी अब सैकड़ों बीघे खेतों और रिहायशी इलाकों को अपनी चपेट में ले चुका है। खेतों में खड़ी फसलें और जानवरों के लिए रखे गए चारे पूरी तरह जलमग्न हो गए हैं ।
यही नही बाढ़ के चलते रेवतीपुर-गहमर मार्ग, पकड़ी-रेवतीपुर बाइपास और हसनपुरा-बीरऊपुर मार्ग पानी में पूरी तरह से डूब चुके हैं। ये सभी सड़कें अब आमजन के लिए बंद हो चुकी हैं। प्रशासन की ओर से अब तक नावों की कोई व्यवस्था नहीं की गई है, जिससे ग्रामीण अपने निजी नावों या अस्थायी साधनों से जोखिम उठाकर आना -जाना कर रहे हैं।
बाढ़ का पानी अब ताड़ीघाट-बारा नेशनल हाईवे (NH-124C) तक पहुंच चुका है। स्थिति अगर यूं ही बनी रही, तो रेवतीपुर-रामपुर मार्ग भी कभी भी जलमग्न हो सकता है। इससे पूरे इलाके में आवाजाही पूरी तरह ठप होने की आशंका है ।
अब प्रशासन की ओर से सतर्कता बरतने की अपील तो की गई है, लेकिन जमीनी स्तर पर बचाव व राहत व्यवस्था बेहद कमजोर नजर आ रही है। अब तक न कोई राहत शिविर, न ही नाव या मेडिकल सुविधाएं मुहैया कराई गई हैं।
बाढ़ का पानी अब गांवों की गलियों तक पहुंच चुका है। आंगनबाड़ी केंद्र, मंदिर, रिहायशी झोपड़ियां पूरी तरह जल से घिर गई हैं। कई ग्रामीण बिना सहायता के ऊंचे स्थानों पर शरण लेने को मजबूर हैं ।
प्राप्त जानकारी के अनुसार बाढ़ का पानी अठहठा जूनियर, वीरऊपुर कंपोजिट, हसनपुरा और नसीरपुर प्राथमिक विद्यालय के समीप पहुंच गया है। शिक्षा विभाग इन विद्यालयों को एहतियातन बंद करने की तैयारी कर रहा है, जिससे बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।
बता इलाके में दर्जनों विद्युत पोल बाढ़ के पानी से घिर चुके हैं, जिससे बिजली आपूर्ति बाधित होने का खतरा भी बढ़ गया है। किसी भी समय शॉर्ट सर्किट या अन्य दुर्घटनाओं की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता।
रेवतीपुर क्षेत्र में गंगा की बाढ़ ने एक बार फिर प्राकृतिक आपदा से जूझ रहे ग्रामीणों की मुसीबतें कई गुना बढ़ा दी हैं। जहां एक ओर फसलें और पशुधन डूब रहे हैं, वहीं दूसरी ओर सरकारी सहायता न मिलने से ग्रामीण खुद अपने दम पर जूझने को मजबूर हैं। प्रशासन को चाहिए कि तत्काल राहत व बचाव कार्य तेज करे, ताकि किसी बड़ी मानवीय त्रासदी से बचा जा सके ।