गाजीपुर।
नेताजी सुभाषचन्द्र बोस की जयन्ती के अवसर पर परसपुरा निवासी जयसूर्य भटट के आवास पर नेताजी की जयन्ती मंगलवार को मनायी गयी ।
इस अवसर पर जयसूर्य भटट ने बताया कि सन् 1940 में नेताजी सुभाष चन्द बोस हमारे आवास पर आये थे और इसके साथ ही उन्होंने अपने पिता रामकृष्ण भटट को नेता जी के साथ खिची गयी तस्वीर में दिखाते हुए बताया कि टाउनहाल के मैदान में एक जनसभा को संबोधित करने से एक दिन पूर्व वह हमारे आवास पर आये थे ओैर रात्रि में भोजन व विश्राम भी किया और इसके बाद फिर दूसरे दिन कई स्थानो पर कई लोगो से मिलने के उपरान्त उन्होंने टाउनहाल के मैदान मेें एक विशाल जनसभा को सम्बोधित भी किया था ।

नेता जी के साथ तस्वीर मे लाल गोपाल भंडारी , श्रीराम भटट , नेता जी सुभाष चन्द्र बोस , सचिन्द्रनाथ सान्याल , रामकृष्ण खत्री , विश्वनाथ गहमरी , आर के भटटाचार्य , सचिव सुभाष बाबू ,डा. त्रिलोकीनाथ दत्ता, जितेन्द्र नाथ सिंह, श्रीराम सिंह, दिनेश चन्द्र ब्रम्हे आदि उस तस्वीर में है जो तत्कालीन नेता जी के सहयोगियो में रहे है ।

इस जयन्ती के अवसर पर वक्ता के रूप में भाजपा के संतोष जायसवाल ने बताया कि नेता जी का जन्म 23 जनवरी 1897 में हुआ था, नेता जी के प्रसंग को सुनाते हुए आगे उन्होंने बताया कि नेता जी पहले युवा कांग्रेस के अध्यक्ष हुए और भगत सिंह के फांसी की घटना को लेकर गांधी से उनका मतभेद हो गया और दूसरी बार जब वो सीतारमैयया को हरा कर कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष चुने गये तो महात्मा गांधी के एक बयान पर कि सीतारमैया की हार नही यह मेरी हार है, उसी क्षण नेता जी सुभाष चन्द्र बोस ने अपना त्यागपत्र देकर अपने को कांग्रेस से अलग कर लिया।
इस अवसर पर बोलते हुए उन्होंने बताया कि नेता जी के बारे मेें हम पढ़े और प्रेरणा ले , जिनके अन्दर राष्ट्रभक्ती कूट कूट कर भरी थी । नेता जी का 18 अगस्त 1945 में विमान दुर्घटना मे घायल होना और उन्हे ताइवान के एक अस्पताल में भर्ती कराए जाने की सूचना के बाद नेता जी के रहस्य से आजतक पर्दा नही उठ सका । उन्होंने उनकी याद में कविता की एक पंक्ति सुनाया…
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’ऐसी आंधी चली चमन मेें, पत्ता पत्ता सिहर गया, इनकी शहादत पल भर में बलिदान का पानी उतर गया , जाने किसकी नजर लगी , जाने किसका टोना संवर गया , गांधी के सपनो का भारत , तिनका-तिनका बिखर गया , खेत हमारे रहेंगे बंजर , हमको हरियाली मत दो , खून में डूुबा सुबह का मंजर , साम की लाली मत दो , खुद को नेता कहके मेरे सुभाष को गाली मत दो – मेरे सुभाष को गाली मत दो ।।
उन्होंने कहा कि उस जमाने मे लोग नेता खुद ही बनते थे , परंतु उनको गांधी जी ही खुद नेताजी कहते थे ।
इस अवसर पर वक्ता के क्रम में ओमप्रकाश तिवारी मंत्री रामलीला कमेटी हरिशंकरी , जिला शासकीय अधिवक्ता सिविल अजय पाठक , जिला शासकीय अधिवक्ता फौजदारी कृपाशंकर राय , मुन्ना राय , कमलेश सिंह लाला , प्रहलाद पाण्डेय आदि ने अपने अपने विचार व्यक्त किए ।