
गाजीपुर ।
हनुमान जी का जन्म चैत्र पूर्णिमा के दिन हुआ था । इसी दिन को उनका वास्तविक जन्मदिवस भी माना जाता है ।
बता दे कि एक पौराणिक कथा के अनुसार , बचपन में एक बार हनुमान जी को बहुत तेज भूख लगी थी तो उन्होंने सूर्य को लाल फल समझकर निगलने की कोशिश की । फिर देवराज इंद्र ने उन्हें रोकने के लिए वज्र से प्रहार किया , जिससे वे मूर्छित हो गए थे । यह देख पवन देव बहुत नाराज हुए और उन्होंने पूरी सृष्टि में वायु प्रवाह रोक दिया था । जब सभी देवताओं ने मिलकर हनुमान जी को फिर से जीवनदान दिया , तब जाकर कहीं स्थिति सामान्य हुई । यह दिन चैत्र पूर्णिमा का ही था , इसलिए इसे उनका पुनर्जन्म और विजय का दिन माना गया है ।
इसी को लेकर गाजीपुर के हनुमान मंदिरों में भी आज भक्तों की काफी भीड़ देखने को मिल रही है खासकर अति प्राचीन हनुमान मंदिर किला कोहना कोट जो त्रेता काल में महर्षि विश्वामित्र के पिता राजा गांधी के द्वारा स्थापित किया गया था और यह मंदिर आज भी विराजमान है मंदिर में विराजमान हनुमान मूर्ति की बात करें तो आज भी हनुमान जी का एक पैर जमीन के अंदर और एक पैर घुटनों के पास से मुडा हुआ है जानकार बताते हैं कि पहले हनुमान जी की यह मूर्ति बहुत ही नीचे थी लेकिन यह लगातार थोड़ा-थोड़ा करके जमीन के ऊपर आते रहते हैं ऐसे में अब हनुमान जी के मूर्ति का दर्शन उनके भक्तों को हो पाना संभव हो गया है ।
आज सुबह से ही हनुमान जयंती का शुभ मुहूर्त सुबह करीब 3:20 के आसपास बताई जा रही है उसके बाद से ही भक्तों का हनुमान मंदिर में आने का सिलसिला सुबह से ही शुरू हो चुका है , इसी कड़ी में मारवाड़ी समाज के द्वारा भी शोभा यात्रा प्रति वर्ष हनुमान जयंती पर निकाली जाती है जो रानी सती मंदिर से आरंभ होकर हनुमान मंदिर तक पहुंचती है । इस शोभायात्रा में मारवाड़ी समाज के सैकड़ो महिला और पुरुष शामिल हुए और अपने हाथों में लिए हुए ध्वज को हनुमान मंदिर को भेंट करने के पश्चात सभी लोग पूजा पाठ कर अपने-अपने घर को वापस हुए ।
इसके साथ ही मंदिर प्रशासन ने यह भी बताया कि भक्तों और मंदिर प्रशासन के सौजन्य से भव्य भंडारे का भी आयोजन किया गया है जो देर रात्रि तक निरंतर जारी रहेगा ।