गाजीपुर ।
कभी शराब से जुड़े कारोबार में एक जमाना था , जब की अक्सर गोलियां तड़तड़या करती थी लगातार गैंगवार होता था । उसी क्रम में पूर्वांचल के गाजीपुर का सैदपुर भी कभी गैंगवार का बड़ा ठिकाना हुआ करता था , मगर वही सैदपुर के शराब कारोबारी रहे बाबू शंकर सिंह ने अपने जीवन काल में खुद कभी हथियार नहीं उठाया । ऐसा कहा जाता हैं कि उनकी बोली ही पूरे पूर्वांचल में मशहूर थी , जहां चाहते थे वहां का शराब कारोबार शंकर सिंह के हाथो में होता था ।
वही जहां वह गरीबों के देवता कहलाते थे तो वहीं सियासतदानों के रहनुमा थे । उनके दर पर पूर्वांचल की तमाम सियासी हस्तियां चुनाव लड़ने के लिए सहयोग और आर्शीवाद लेने आया करती थी ।
आज 14 अक्तूबर को उनकी प्रथम पुण्यतिथि कौशिक भवन सैदपुर में आयोजित की गई थी । उनके सबसे छोटे पुत्र एवं वर्तमान जिला पंचायत अध्यक्ष पति पंकज सिंह चंचल ने कहा कि मेरे पिता ने पूरे जीवन भर लोगों की मदद की। आज उनकी कमी हम लोगों को पूरी तरह से खल रही हैै और मैं उनके बताए रास्ते पर चलकर उनके और अपने जीवन के सपनों को सच करूंगा ।
बता दे कि यूपी के गाजीपुर जनपद के सैदपुर ब्लाक के अहिरौली गांव निवासी द्वारिका सिंह को 30 दिसंबर 1940 को जब पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई तो उनके घर का कोई सदस्य नहीं जानता था कि यह नन्हा सा बालक आगे चलकर गांव ही नहीं बल्कि पूरे पूर्वांचल में अपने कुल का नाम रोशन करेगा ।
ज्ञातव्य हो कि बाबू शिवशंकर सिंह का जीवन बचपन से ही अभावों में गुजारा। क्योंकि उनके पिता एक मामूली किसान थे । उस समय पूरे देश में आजादी की लड़ाई की गूंज सुनाई दे रही थी और उनके जन्म के ठीक सात वर्ष बाद सन् 1947 में देश आजाद हुआ था । इस नन्हें शिवशंकर के भीतर देश भक्ति की भरपूर भावना जागने लगी थी । अंग्रेजों के प्रति नफरत का भाव रखने वाले शिवशंकर सिंह परिवार की माली हालत को देखते हुए 18 वर्ष की उम्र में ही व्यापार से जुड़ गए । वह रेलवे स्टेशन से लेकर सैदपुर बाजार में झोले में रखकर कुछ सामान बेचते थे । उनके दो और भाई थे। वह दूसरे न. के मझले भाई थे । जबकि सबसे बड़े भाई श्री नारायण सिंह और सबसे छोटे भाई रामाशंकर सिंह काटू सिंह थे ।
जानकारी के अनुसार शुरूआती दौर में शंकर सिंह को बिजनेस में कोई खास सफलता नहीं मिली थी । चूंकि उस समय देश आजाद हो चुका था । देश विकास की नई कहानी लिखने के लिए अग्रसर हो रहा था । अचानक 70 के दशक में बाबू शंकर सिंह का भाग्य उदय हुआ और उन्होंने कुछ लोगों के सहयोग से शराब के व्यवसाय में अपना हाथ आजमाया , किस्मत ने भी उनका भरपूर साथ दिया । इसके बाद कभी भी उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा । उन्होंने अपने जीवन काल में अरबों की संपत्ति बनाई । कम शिक्षित होने के बावजूद भी शंकर सिंह में मानवता कूट -कूट कर भरी हुई थी । बीस वर्षों तक अपने गांव अहिरौली में निर्विरोध प्रधान रहने के बावजूद भी उन्होंने अपने भाइयों को जान से भी ज्यादा चाहने वाले अपने चाचा बलिराम सिंह के बेटे कैलाश सिंह को अपने बलबूते दो बार एमएलसी बनवाया था ।
यही नहीं वहीं अपने समधी राजदेव को भी एमएलसी बनवाने में शंकर सिंह की भूमिका को भी कम नहीं आका जा सकता है । पूरे इलाके में उनका काफी प्रभाव रहा है । उन्होंने अपने बेटे हरिकेश सिंह बब्लू की पत्नी एवं अपने सगे भाई काटू सिंह को ब्लाक प्रमुख भी बनवाने से नहीं चूके थे । यहां तक की जब 2016 में पहली बार उनके दामाद एवं मौजूदा युवा एमएलसी विशाल सिंह चंचल चुनाव लड़ रहे थे तब भी बाबू शंकर सिंह ने अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाकर उन्हें सदन में भेजने का काम किया था ।
बता दे कि समय चक्र बदला और फिर नियती को कुछ और ही मंजूर था । फिर भी वह किसी भी परिस्थितियों में अपनों को कभी नहीं भूले। उनके डाक्टर बेटे मुकेश सिंह एवं जिला पंचायत अध्यक्ष सपना सिंह के पति पंकज सिंह ने उनको बचाने की पूरजोर कोशिश किए । हिन्दुस्तान के टाप टेन अस्पतालों में ले गए। मगर एक मनहूस तारीख 14 अक्तूबर 2023 को आ ही गई। जब हमेशा – हमेशा के लिए बाबू शिवशंकर चिर निद्रा में सो गए। उनकी दिली ख्वाहिश थी कि पंकज सिंह जो कभी जिला पंचायत सदस्य थे, उन्हें सियासत में एक बड़ा मुकाम मिले । उनके जीते जी उनकी बहू सपना सिंह जिले की प्रथम महिला जिला पंचायत अध्यक्ष के सफर तक पहुंच गई परन्तु पंकज का सफर कुछ थम सा गया ।
आज अपने पिता की प्रथम पुण्यतिथि पर पंकज ने बताया कि उनका सपना है कि सपना प्रदेश की सबसे बड़ी पंचायत में पहुंचकर कौशिक कुल का नाम रोशन करें । पिता को याद करते हुए डाक्टर बेटे मुकेश सिंह के भी आंसू नहीं थमते। वह कहते हैं कि मेरे पिता जैसा पिता युगों – युगों तक इस धरा पर नहीं आएगा ।
आज उनके पुण्यतिथि के अवसर पर उनके छोटे बेटे एवं पिता की सेवा में हमेशा तत्पर रहने वाले पंकज सिंह ने मंच से संबोधित करते हुए स्व. बाबू शिवशंकर सिंह चेरिटेबल ट्रस्ट के अंतर्गत 200 टीवी के मरीजों को गोद लिया और उनके खाने -पीने से लेकर दवा तक की तब तक की जिम्मेदारी उठाई जब तक वह पूरी तरह से स्वस्थ नही हो जाएंगे । यही नही उन्होंने खेल के प्रतिभावान खिलाड़ीयो का भी सारी जिम्मेदारी के साथ बीड़ा उठाने का प्रण लिया है ।
इसके साथ ही अपने गाँव अहिरौली से लेकर सैदपुर तक के हर जरूरतमंद व्यक्ति एवम महिलाओं को चिन्हित करते हुए आज इस पुण्य तिथि के अवसर पर उन्होंने उपहार स्वरूप उनके जरूरत की सामग्री भेट दी ।
इस अवसर पर पुलिस अधीक्षक इरज रजा , भाजपा के सभी शीर्ष नेतृत्व के पदाधिकारियों समेत अन्य सभी दलों के भी नेता एवम पदाधिकारी समेत हजारो की संख्या में तमाम लोग मौजूद रहे ।
इस अवसर पर पंकज सिंह चंचल के आंखों से बस अपने पिता से बिछुड़ने का दर्द छलकता रहा । उन्होंने बस इतना ही कहा कि मेरा सदैव यही प्रयास रहेगा कि अपने पिता के बताए रास्ते पर चलकर अपने कुल का नाम रोशन करता रहूंगा ।