
मिर्जापुर ।
विश्व प्रसिद्ध विंध्याचल धाम में स्थित मां विंध्यवासिनी देवी का इस बार का श्रृंगार श्रद्धालुओं के लिए खास आकर्षण का केंद्र बन गया। पूर्णिमा के दिन मां का श्रृंगार फूलों या चुनरी से नहीं, बल्कि भारतीय मुद्रा (नोटों) की मालाओं से किया गया। यह अनोखा श्रृंगार चार दोस्तों ने अपने एक मित्र के जन्मदिन के मौके पर करवाया, जो अब चर्चा का विषय बना हुआ है ।
इस अनोखी पहल के पीछे हैं — अभिषेक पांडेय, अनमोल दुबे, अनमोल त्रिपाठी, और शिवम त्रिपाठी। इन चारों ने मिलकर अपने दोस्त शिवम त्रिपाठी के जन्मदिन को भक्ति और श्रद्धा के रूप में यादगार बनाने का निश्चय किया। इसके लिए उन्होंने कई दिनों तक पैसे जमा किए और उसे ₹1, ₹10, ₹20, ₹50 और ₹100 के नोटों में बदलवा कर मालाएं तैयार कराईं, जिनसे मां विंध्यवासिनी का भव्य श्रृंगार किया गया ।
श्रृंगार के बाद संध्या आरती में भक्तों की भारी भीड़ उमड़ पड़ी। देवी का दरबार पूरी तरह से कागजी मुद्रा की मालाओं से सजाया गया था, जो देखने में अत्यंत भव्य और मनोहारी लग रहा था। इस अवसर पर भोग प्रसाद भी श्रद्धालुओं को वितरित किया गया ।
अभिषेक पांडेय ने बताया कि, “हम काफी समय से यह योजना बना रहे थे। शिवम का जन्मदिन हमें कुछ खास और आध्यात्मिक रूप में मनाना था। मां विंध्यवासिनी का श्रृंगार हमारे लिए सौभाग्य की बात है ।”
वैसे तो मां विंध्यवासिनी का प्रतिदिन भव्य श्रृंगार होता है, लेकिन इस बार का श्रृंगार अपनी अलग पहचान बना गया। श्रद्धालुओं ने इस पहल की सराहना की और कहा कि भक्ति के भाव में जब नयापन जुड़ता है, तो वह और भी सुंदर हो जाता है ।
हालांकि कुछ परंपरावादी भक्तों ने इसे लेकर सवाल भी उठाए कि क्या करेंसी को धार्मिक रीति-रिवाज में शामिल करना उचित है। मगर मंदिर प्रशासन की अनुमति और भक्ति भाव को देखते हुए यह आयोजन शांतिपूर्वक और श्रद्धापूर्वक संपन्न हुआ ।
निष्कर्ष:
मां विंध्यवासिनी के इस अनोखे श्रृंगार ने यह दिखा दिया कि भक्ति भाव की कोई सीमा नहीं होती। जब श्रद्धा और समर्पण मिलते हैं, तो भक्ति भी नए रूपों में प्रकट होती है — ठीक वैसे ही जैसे इस बार, देवी का श्रृंगार बन गया एक यादगार भक्ति उत्सव ।