
गाजीपुर ।
गाजीपुर का साहित्यिक परिदृश्य उस समय ऊर्जस्वित हो उठा जब शहर के प्रतिष्ठित द प्रेसीडियम इंटरनेशनल स्कूल के सभागार में वरिष्ठ साहित्यकार डॉ माधव कृष्ण द्वारा रचित निबंध संग्रह ‘पिनाक’ का भव्य लोकार्पण समारोह संपन्न हुआ। यह आयोजन न केवल एक पुस्तक का लोकार्पण था, बल्कि साहित्य, विचार और वैदिक परंपरा के अंतःसंगम का मंच भी बन गया।
🔸 लोकार्पण की आध्यात्मिक शुरुआत
समारोह की शुरुआत माँ सरस्वती और संत परमहंस बाबा गंगारामदास के चित्र के समक्ष दीप प्रज्वलन से हुई। बलिया की कवयित्री डॉ कादम्बिनी सिंह की स्वरचित सरस्वती वंदना और गायत्री परिवार के सुरेंद्र सिंह एवं सहयोगियों द्वारा किए गए स्वस्तिवाचन ने वातावरण को पवित्रता और गरिमा से भर दिया।
🎓 गौरवशाली मंचासीन अतिथि
समारोह की अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार डॉ मांधाता राय ने की, जबकि सारस्वत अतिथि के रूप में प्रो. अनिल राय (गोरखपुर विश्वविद्यालय) और मुख्य अतिथि के रूप में चर्चित कवि व चिंतक देवेंद्र आर्य मंचासीन रहे। सभी अतिथियों को अंगवस्त्र प्रदान कर सम्मानित किया गया।
📚 पिनाक: साहित्यिक वैचारिकता का तीव्र हस्ताक्षर
आधार वक्तव्य प्रस्तुत करते हुए पी.जी. कॉलेज गाजीपुर की हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ शिखा तिवारी ने कहा, “माधव कृष्ण की रचनाएँ भारत की विराट सांस्कृतिक परंपरा से अनुप्राणित हैं, लेकिन वे सामाजिक जड़ता के विरोध में अडिग रूप से खड़े होते हैं। ‘पिनाक’ में भारत के युवाओं के लिए वैचारिक गतिशीलता की प्रचुर सामग्री उपलब्ध है।”
प्रो. अनिल राय ने अपने वक्तव्य में कहा, “पिनाक जहां एक ओर भगवान शिव का संहारक धनुष है, वहीं दूसरी ओर यह वीणा की तरह सृजन का उपकरण भी है। यह ग्रंथ एक ऐसा विमर्श रचता है जो पाठक को गहराई में उतरने के लिए बाध्य करता है। इसके विचार बहुचर्चित, बहुसंदर्भित और गंभीर आलोचना योग्य हैं।”
🖋️ देवेंद्र आर्य का आलोचनात्मक दृष्टिकोण
मुख्य अतिथि देवेंद्र आर्य ने कहा कि “यह पुस्तक विवेक और कट्टरता के मध्य एक सशक्त संवाद है। लेखक का यह मत कि सत्य को संस्थाबद्ध नहीं, बल्कि सैद्धांतिक रूप में स्वीकार किया जाना चाहिए — अत्यंत प्रासंगिक है।” उन्होंने डॉ माधव कृष्ण और डॉ शिखा तिवारी को “निकट भविष्य का साहित्यिक दंपति” कहते हुए उनके योगदान को रेखांकित किया।
🕉️ अध्यक्षीय उद्बोधन: परंपरा और प्रगतिशीलता का समन्वय
अध्यक्षीय उद्बोधन में डॉ मांधाता राय ने कहा, “यह कृति वैदिक और उपनिषदिक परंपरा से पुष्ट निबंधों के माध्यम से सामाजिक समस्याओं से गहन मुठभेड़ करती है। ‘पिनाक’ विचार और दृष्टिकोण के स्तर पर समकालीन हिंदी साहित्य में एक महत्वपूर्ण हस्तक्षेप है।”
✍️ लेखकीय अभिव्यक्ति और धन्यवाद ज्ञापन
लेखक माधव कृष्ण ने अपनी ओर से सभी वक्ताओं और उपस्थितजनों के प्रति आभार प्रकट किया। धन्यवाद ज्ञापन ममता उपाध्याय ने किया ।
👥 विविध क्षेत्रों की उपस्थिति ने बढ़ाया गौरव
समारोह में साहित्य, शिक्षा, समाज और प्रशासनिक क्षेत्र के अनेक विशिष्ट जन उपस्थित रहे। प्रमुख उपस्थितियों में अर्थशास्त्री श्रीकांत पांडेय, मनोवैज्ञानिक अंबिका पांडेय, अमरनाथ तिवारी, दिनेश्वर दयाल, संजय कुमार, सुजीत सिंह प्रिंस, कुंवर वीरेंद्र सिंह, पारसनाथ सिंह, अनीशा सिंह, रंजना राय, रामनिवास यादव, रामनगीना कुशवाहा, जे पी ठाकुर, अखिलेश्वर प्रसाद सिंह सहित अनेक गणमान्य नागरिकों की उपस्थिति ने आयोजन की गरिमा को और भी बढ़ा दिया।
📌 ‘पिनाक’ केवल एक पुस्तक नहीं, बल्कि विचारों का वह संकलन है जो परंपरा और आधुनिकता के बीच संतुलन बनाते हुए आज के सामाजिक, वैचारिक और सांस्कृतिक संघर्षों से गहरी संवाद करता है। गाजीपुर की धरती से जन्मी यह रचना निःसंदेह हिंदी साहित्य को एक नई दिशा देने में सक्षम है ।